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साधक – आर. एन. शर्मा
इनका जन्म 19वीं शताब्दी में एक खुशहाल प्रभावशाली मध्यम व्यवसायिक वर्ग में हुआ. श्री आर. एन. शर्मा अपने दो भाइयों में सबसे छोटे हैं. परिवार के सदस्य इन्हें बचपन से मंटू कहकर बुलातें हैं. इनके पिता के पास लौह अयस्क का कारखाना था और इन्हें इस तकनीक में दक्षता हासिल था. श्री शर्मा जी औपचारिक शिक्षा पूरा होने के बाद ये अपने पिता के व्यवसाय में सहयोग करने लगें. बहुत जल्द हीं वे अपने पिता के मददगार साबित हुए. श्री शर्मा जी के परमपूज्य पिता जी ने यह देखा की अपने सबसे छोटे बेटे का पैर उनके जूते मे स्टीक आ रहा है- तब उन्होने मंटू जी के परम् आदरणीय माता श्री से कहें वह एक दिन इस वसुंधरा का सबसे सफल और प्रभावी व्यक्ति बनेगा.इस समय तक पिता और पुत्र दोनों ने मिलकर अपने व्यवसाय को एक नई उचाईं पर ले गये.लेकिन प्रकृति को कुछ ऑर मंजूर था. इनके अच्छे समय के सारे दोस्त इन्हें छोड़कर उसी तरह जाने लगे- जैस सूर्य के आने के बाद तारें चलें जातें हैं. यह घटनाये बस कुछ महीनों के अंदर ही हो गया. जैसे- समय का रेत हाथों से फिसलता है उसी तरह एक-एक करके इनके तीन दुकानें और कारखाना चला गया. इस बीच इनके दोस्त ही दुश्मन बन गये. इनके बड़े भाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जुदा हो गये. श्री शर्मा जी के पिता जी यह सब सहन नहीं कर पाएँ और वे उदास रहनें लगें जिसका परिणाम यह हुआ- की उन्हें हृदयाघात हुआ और वह पूर्णतः विस्तर पर लेट गये. श्री शर्मा जी के बड़े भाई अपने बच्चों के साथ शर्मा जी के पास आयें.इस दुखः के घड़ी में श्री शर्मा जी अपने और अपने परिवारवालों के लिए रोटी कमाने वाले एकमात्र शख्स बनें. दिन रात के इस कड़ी मेहनत मे शायद हीं वे अपने परिवार के सदस्यों से मिल पाते थे.उन्होनें इस प्रस्थिती मे अपने परिवार के लिए वे सब सुख सुविधा जुटाई जो जरूरत थी.इनके इस विकट परिस्थिति में श्री शर्मा जी के एक दोस्त ने एक पंडित जी से इनका परिचय अस्थायी दुकान पर कराया. इनके दोस्त ने पंडित जी को शर्मा जी के दुकान पर लाए. जब पंडित जी उनके अस्थायी दुकान पर पहुँचें तब श्री शर्मा जी ने उन्हें आदर के साथ बैठाया और खुद दुकान से बाहर जाकर आए हुए मेहमान के लिए चाय की व्यवस्था करने लगें. जब- की उस समय श्री शर्मा जी के लिए चाय का व्यवस्था करना काफी कठिन काम था, क्योंकि इनके जेब में एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी. उन्होनें चाय के दुकानदार से प्रार्थना करते हुए कहा- की मैं आपके बकाया राशि दो दिनों के अन्दर पूरा कर दूंगा. श्री शर्मा जी जब चाय लेकर दुकान के अन्दर गये तो पंडित जी बोलें “मैं जनता हूँ- की आपको इस चाय को लाने मे कितने समस्या उठानी पड़ी है”. इसके बाद पंडित जी ने कहा- “आप और आपके परिवार के सदस्य एक अनदेखे, अनजान शत्रु जो की एक काला जादू है के चपेट में हैं. आप हमारे घर आयें मैं आपके सारी परेशानियों का अन्त कर देंगें”.एक दिन श्री शर्मा जी अपने दोस्त के साथ पंडित जी के घरपर उनसे मिलने पहुँचे. तब पंडित जी ने उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों के बारे में विस्तार से बताया तथा उससे निकलने का उपाय बताए. पंडित जी ने उन्हें प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने को कहा. उन्होनें पंडित जी के कहे का अक्षरशः पालन किया. एक सप्ताह के अन्दर किसी चमत्कार की तरह अचानक सारे बदलाव होने लगे. इनके पास अपने पुराने ग्राहको के काफी ज्यादा मात्रा मे माँग आने लगे तथा इन्हें अग्रिम राशि भी मिलने लगी. उन्होनें अपने ग्राहको की माँग को समय पर पूरा किया. कुछ ग्राहको ने इनके द्वारा तैयार माल को आज भी अच्छी तरह रखा है.इस बीच इन्होने स्वप्न देखा की मुझे बगलामुखी साधना करना चाहिए. उस समय इन्हें बगलामुखी महासाधना के बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी. तब इन्होने किसी योग्य गुरु की तलाश की लेकिन किसी ने भी इन्हें सही संतुष्टि नही दी.एक दिन इन्होनें एक छोटी पुस्तक पाए जिसमे माँ बगलामुखी महामंत्र का वर्णन थी और तब इन्होने इस चमत्कारी महामंत्र का उच्चारण शुरू किया तब जैसे चमत्कार हुआ. माँ बगलामुखी ने स्वयं इन्हे साधना की विभिन्न प्रकार और चरण का निर्देश दिया. इस प्रकार बगलामुखी महाविधा का दिव्य इन्हे आया. श्री शर्मा जी दैनिक जीवन के किसी भी व्यक्ति के बारे में विस्तार से बता सकते हैं. माँ बगलामुखी ने इन्हे अपने मन्दिर पर बुलाएँ जो-की पटना में अवस्थत है.इन्हे पहले ही यह अनुमान हो गया था की इनके माता-पिता इस संसार से चल बसेंगे.इसके ठीक महारात्रि के इनके माता-पिता इस संसार से चल बसें. तबसे आज तक माँ बगलामुखी की कृपा से श्री आर. एन. शर्मा जी बहुत सारे चेहरे मुस्कान ला चुकें हैं,बहुत सारे मानसिक रोगियो को ठीक कर समान्य जीवन शैली प्रदान किए,तत्काल तक पहुँच चुके दांपत्य जीवन को स्थिर कर खुशहाल दांपत्य मे बदल दिए.शत्रु प्रभाव को वश मे करने मे सहायता कर रहें हैं, काले जादू के प्रभाव का खत्म किए,उन लोगों को अपने घर वापस लाए जो अपने परिवार से बिछुड़ गये थे,अकाल मृत्यु से बहुत आदमियो को बचाया है, बहुत सारी बुरी शक्तियों को दफ़्न कर दिए है,लोगो को अपने मुकद्दमे को जीतने मे सहायता किए है,लोगो को उनके दुश्मन पर नियंत्रण करने में मदद किए हैं और उन सभी लोगो का समस्या दूर किए जो उनके शरण मे आए हैं. श्री आर. एन. शर्मा का यह मानना है – कि मनुष्य का सबसे बड़ा और शक्तिशाली दुश्मन उसके नकारात्मक विचार है, यदि इस पर नियंत्रण कर लिया जाए तो हमें बाहरी दुश्मन बर्बाद नहीं कर सकता. हर व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाली पूर्वक व्यतित कर सकता है. वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. कोई भी शक्ति माँ बगलामुखी महाविधा जैसा दुश्मन से चमत्कारी ढंग से नहीं निपट सकता है. माँ बगलामुखी सारे नकारात्मक विचार को अपने तलवार के एक वार से समाप्त कर देतीं हैं.
“काला जादू अपने साधक और उसके सहयोगी को दफन कर सकता है- लेकिन बगलामुखी महाविधा को न दफ़न किया जा सकता और न मिटाया जा सकता है.”—मंत्रमहोदधि.
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