DEVI BAGLAMUKHI – "The enemy destroyer".mate power in modern era, it has atomic powers and indeed it is a enemy destroyer".

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Maa Baglamukhi Sadhana Kendra Estd - 2007

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बगलामुखी यंत्र
baglamukhi-yantra

            धर्मशास्त्रो के अनुसार, बगलामुखी यंत्र शब्द का मतलब परेशानी दूर करने का तत्काल माध्यम.यह मिलाने का काम करता है,यह वश मे करता है,यह मनोवांछित फल देता है,यह परिवार को बांध कर रखता है.यन्त्र दूसरे कार्यो के लिए भी काफी उपयोगी है.जैसे-परिश्रम का उचित फल देना,कार्य करने मे उत्साह देना,ध्यान,दिमाग को स्थिर और एकाग्र करना,बुरी नजरो और बुरी शक्तियो से बचाना तथा पदोन्नति कराना.ऐसा विश्वास किया जाता है-कि यंत्र शब्द की उत्पति संस्कृत के शब्द”यम+तराना” से हुआ है.जिसका मतलब है सहायता या रक्षा करना और यंत्र का अर्थ है परेशानियों से निवारण.इस प्रकार यंत्र जन्म और मृत्यु के भंवर से निकाल कर मुक्त भी करता है.यंत्र की उत्पत्ति आज् से पाँच हजार साल पहले हुई. बगलामुखी यंत्र का व्यापक तौर पर विकास क्रमवार से हुआ.

              सबसे पहले आध्य,पूर्व शास्त्रीय,महा काव्य,शास्त्रीय संगीत के बाद शास्त्रीय और आधुनिक योग में हुआ है. यंत्र एक प्रकार से भगवान और देवताओं को प्रदर्शित करता हुआ चिन्ह है.यह विभिन्न प्रकार के पदार्थो द्वारा निर्मित किया जाता है.जैसे- सोना,चांदी,तांबा,स्फटिक,भुर्ज हड्डिया और् शालिग्राम.यंत्र निर्माण के दौरान मंत्रों का उच्चारण,बिंदी,गुप्त पत्र,गुप्त मंत्र,रंग,आकार,आकड़ों का खास ख्याल रखा जाता है. जबकि बगलामुखी यंत्र के रंग और रोगन के समय सटीकता,शुध्दता,अनुशासन,एकाग्रता,स्वच्छता और धैर्यता का काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है. ये कार्य सिर्फ वही व्यक्ति कर सकता है जो धर्म को गहराई से जाने और शास्त्र का अध्ययन किया हो.यंत्र निर्माण के पहले ग्रह और नक्षत्र के अनुसार स्थान का चयन,संतुलित संरचना,खास स्याही और शुभ घड़ी का अध्ययन किया जाता है. यंत्र को हिन्दू और तिब्बत के तांत्रिक आगाढ ध्यान को केंद्रित कर निर्माण करतें हैं.यंत्र को सही मंत्र और सही उच्चरण के साथ उपयोग करना चाहिए.यह अध्यात्मिक स्तर का एक वास्तविक केन्द्र है.यंत्र किसी व्यक्ति को भगवान के शक्ति के द्वारा वह सब परिणाम देता है जो वह चाहता है.उन व्यक्तियों के लिए जो जन्म,पुनर्जन्म के चक्रव्यूह से निकलना चाहतें हैं उनके लिए यह यंत्र मददगार हैं.

              हिन्दु धर्म का मानना है-कि माँ बगलामुखी यंत्र मे निवास करती हैं.यंत्र धार्मिक कार्यो में काफी आदर और शुभ माना जाता है.यंत्र भगवान के हाथ हथलि का भी प्रतीक माना गया है.यंत्र को हर धार्मिक कार्य के प्रतीक के रूप मे दर्शाया गया है.यंत्र के उपयोग के पहले इसे शुध्द तथा उर्जावान बनाया जाता है.यंत्र बन जाने के पश्चात इसे स्नान कराया जाना चाहिए.स्वर्ण पत्र पर स्थापित कर इसे अष्ठसुगंध या कुन्दा फूल,गोला फूल,उध्दभा फूल से पूजा किया जाना चाहिए.चूंकि यंत्र भगवान को दर्शाता है.इसलिए इसकी पूजा उचित मंत्र का जप करते हुए करना चाहिए.इस प्रक्रिया से यंत्र मे भगवान की दिव्य शक्ति आ जाती है.यह् सारी तंत्रिक क्रिया रात मे करनी चाहिए.उस यंत्र की उर्जा ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावकारी होता है.जिसका निर्माण महाशिव रात्रि,होली और दीपावली के दौरान होता है.यंत्र धारण करने से पहले इस पर महत्वपूर्ण मंत्र लिखा होना चाहिए.यंत्र के वाह्ये भाग मे रक्षा कवच और एक हजार नामों का उल्लेख होना चाहिए.यंत्र मे देवी की दिव्य शक्ति प्राप्त होने के बाद,यंत्र का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए इसे सोने या चंदी धातु के हार में पहनना चाहिए.यंत्र के रेखाचित्र बनाते समय लाल,नारंगी,पीले रंगो का उपयोग करना चाहिए.यंत्र को धारण करने से पहले सुबह में एकबार दिप प्रज्जवलित कर पूजा करना चाहिए.बगलामुखी महायंत्र की शक्ति का उपयोग अपने दुश्मन पर हावी और नियंत्रित करने में किया जाता है.

           बगलामुखी यंत्र दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने,कानूनी दांव पेंच,कचहरी का मुकद्दमा.झगड़ो में सफलता,प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता में काफी कारगर और उपयोगी हैं.पीठासीन देवी बगलामुखी इस यंत्र के दिव्य शक्ति को नियंत्रित करती हैं.इस यंत्र की पूजा पीले वस्त्र धरण कर,पीले आसन पर बैठकर तथा पीले फूल और पीले दानें के साथ खास नक्षत्र में तब करें जब मंगल ग्रह से अधिकतम उर्जा का उत्सर्जन होता है.इस यंत्र को रेखाचित्र बनाने में हल्दी,धतूर फूल का रस उपयोग होता है.इस यंत्र को उन धतुओं पर उकेरा जा सकता है जो सिर्फ स्वर्ण आभा लिए हो.बगलामुखी का यंत्र बुरी शक्तियों से बचाव में अचूक हैं.बगलामुखी यंत्र शत्रुओं पर लगातार विजय श्री दिलाता है.यह यंत्र अकाल मृत्यु,दुर्घटना,दंगा फसाद,औपरेशन आदि से भी बचाव करता है.इसे गले में पहनने के साथ-साथ पूजा घर में भी रख सकतें हैं.इस बगलामुखी यंत्र की पूजा पीले दाने,पीले वस्त्र,पीले आसन पर बैठकर निम्न मंत्र को प्रतिदिन जप करते हुए करना चाहिए.

!!ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं
स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा !!

              अपनी सफलता के लिए कोई भी व्यक्ति इस बगलामुखी यंत्र का उपयोग कर सकता है.इसका वास्तविक रूप मे प्रयोग किया गया है.इसे अच्छी तरह से अनेक लोगों पर उपयोग करके देखा गया है.इस बगलामुखी यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा करने के बाद इसे अपने पूजा के स्थान पर या अपने गृह मंदिर मे लकड़ी के बने चौक जिसपर पीला आसन लगाया गया हो उसपर स्थापित कर दें.स्नान करने के बाद पूजा करें.अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए अपने दाहिने हाथ मे जल लेकर,माँ बगलामुखी मंत्र का जप करें और बगलामुखी यंत्र पर छिड़क दें.आपकी मनोकामना आवश्य पूर्ण होगी. बगलामुखी यंत्र के बारे मे दिशा निर्देश-यह बगलामुखी यंत्र एक प्रकार का उपकरण है.एक तिलिस्म या दिव्य लेखाचित्र है जो स्वर्ण आभा लिए धातु पर अंकित है.अपने इच्छा और चाहत को साधारण और कम समय मे सफलता प्राप्त करने का रास्ता बतलाता है.ऐसा माना जाता है-कि बगलामुखी यंत्र मे देवताओं का निवास है.इसीलिए यंत्र की पूजा होती है.इससे देवता खुश होते हैं और नाकारात्मक शक्तियों को हटाकर शुभ घड़ी को बढातें हैं.

          अपने बगलामुखी यंत्र को उर्जावान और सौभग्यशाली बनाने के लिए निम्नलिखित प्रयास करें.
1.सबसे पहले अपने शरीर को शुध्द कर अपने दिमाग को एकाग्र रखते हुए विश्वास रखें.
2.आप अपने घर मे पूर्व दिशा की ओर एक ऐसा स्थान का चयन करें जहाँ आपको कोई परेशान ना करें.
3.द्वीप को प्रज्जवलित करें.(दीपों की संख्या से कोई मतलब नहीं).
4.अपने वेदी पर ताजे फल और सुगंधित फूल रखें.
5.अपने बगलामुखी यंत्र को उस स्थान पर रखें जहाँ बगलामुखी यंत्र के देवता का चित्र हो और आपके इष्ट देवता हों.
6.किसी भी पेड़ की कोई भी पत्ती से जल का छिड़काव अपने उपर और बगलामुखी यंत्र पर करें.
7.उसके बाद अपने मन और शरीर को पूर्ण रूप से माँ बगलामुखी को समर्पित कर और 21(इक्कीस)बार इस मंत्र का जप करें.

!!“ॐ ह्लीं बगलामुखी नमः”!!

                                              
8.अपने आँखों को बंद कर माँ का ध्यान लगाईए.माँ मुझे आशिर्वाद दो की मेरी मनोकामना पूर्ण हो.अब आप पूरी ईमानदारी से अपने भाषा मे कहें-हे देवी मेरी इच्छा,मनोकामना को पूर्ण किजिए.
वैदिक बगलामुखी यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा सिर्फ जानकार पंडित या पुरोहित के द्वारा ही कराएं.(वैदिक मंत्र का उच्चारण के समय एक लाख 18 हजार देवी देवताओं का स्मरण किया जाता है.) बगलामुखी यंत्र के साथ प्राण-प्रतिष्ठा का प्रसाद भेजा जायेगा.(किसी भी प्रकार की खाने की वस्तु को नहीं भेजा जायेगा).

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