DEVI BAGLAMUKHI – "The enemy destroyer".mate power in modern era, it has atomic powers and indeed it is a enemy destroyer".

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Maa Baglamukhi Sadhana Kendra Estd - 2007

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माँ बगलामुखी की उपासना विधि हिंदी में

माँ बगलामुखी की उपासना विधि सम्पूर्ण जानकारी :सर्वप्रथम आप सभी को मेरा नमस्कार में माँ बगलामुखी साधक R.N Sharma मेने अपने जीवन में माँ बगलामुखी के आशीर्वाद को स्वतः अनुभव किया है और इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को सर्वशक्तिमान माँ बगलामुखी की की विशेष पूजा की विधि जिसका अगर आप अपने सच्चे मन पूर्ण विश्वास से करेंगे तो आपको परिणाम अवश्य मिलेगा मेने अपने जीवन में माँ बगला मुखी के आशीर्वाद और उनके प्रताप से स्वमं की समस्या और अन्य समस्या से पीड़ित लोगो की मदद की है और या बहुत ही कारगर विधि है जो आपके साथ मेने साझा की है।

बगलामुखी की उपासना का कुछ संक्षिप्त परिचय

प्रयोजन (उद्देश्य ) – मारण ,मोहन ,उच्चाटन ,वशीकरण ,अनिष्ट ग्रहों की शांति , मनचाहे व्यक्ति का मिलन , धनप्राप्ति एवं मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी की स्तोत्र का पाठ , जप और अनुष्ठान शीघ्र फलदायक है।


जप का स्थान – शुद्ध ,एकांत स्थान या घर पर ही , पर्वत की चोटी ,घनघोर जंगल , सिद्ध पाषाण -गृह अथवा प्रसिद्द नदियों के संगम पर , अपनी सुविधानुसार रात्रि या दिन में , माँ बगलामुखी का अनुष्ठान करें। पर एक वस्त्र और खुले स्थान का निषेद्ध है। अर्थात स्नान ,सन्ध्योपासनादि नित्य – नैमित्तिक क्रियाओं से निवृत हो पिली धोती ,दुपट्टा या गमछा लेकर जप करें। यदि खुला स्थान हो, तो ऊपर से कपड़ा या चँदोवा वगैरह लगा लेना चाहिए।


विशेष रूप से वस्त्र तथा पुष्प के संबंध में- बगलामुखी के अनुष्ठान में सभी वास्तु पिली होनी चाहिए। जैसे – पिली धोति ,दुपट्टा ,हल्दी की गाँठ की माला ,पीला आसन ,पीला पुष्प एवं पीत वर्णवाली बगलामुखी देवी में तल्लीन होकर अनुष्ठान करने की विधान है।


भोजन – मध्याह्न में दूध , चाय , फलाहार आदि तथा रात्रि में हविष्यान्न। (केसरिया खीर ,बेसन के लड्डू , बुंदिया पूड़ी आदि ) ग्रहण करें।
जप तथा पूजा का विधान – अनुष्ठानकर्ता को चाहिए कि – अपने छोटे – बड़े कार्य के अनुसार – बगलामुखी कवच का पाठ करे तत्पश्चात – बगलामुखी

माँ की छत्तीस अक्षर वाली वैदिक मंत्र का जप करें।
मंत्र – !! ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा !!

मंत्रजाप के बाद क्षमा प्रार्थना का पाठ करें। उपरोक्त मंत्र का जाप अपने छोटे – बड़े कार्य के अनुसार ३१ दिन, २१ दिन,११ दिन,९ दिन या ७ दिन में करें।

यदि पास में बगलामुखी देवी हो तो वहाँ पर करें अथवा शुद्ध स्थान पर एक छोटी चौकी अथवा पट्टा (पीढ़ा ) वस्त्र बिछाकर उसपर पीले चावल से अष्टदल कमल का निर्माण कर , उसपर बगलामुखी देवी का चित्र (फोटो),प्रतिमा कवच / यंत्र स्थापित कर आवाहन – पूर्वक गंध , पुष्प आदि द्वारा षोडशोपचार से पूजन कर जप आरम्भ करें।


प्रथम दिन जितनी संख्या में जप करें उसी क्रम से प्रतिदिन जप करना चाहिए। बीच में न्यूनाधिक करने से जप खण्डित हो जाता है।

हवन -हरिद्रा आदि युक्त पीत द्रव्यों से जप का दशांश हवन ,हवन का दशांश तर्पण ,तर्पण का दशांश मार्जन एवं मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस प्रकार करने से साधक को निश्चय ही सफलता प्राप्त होती है।

विभिन्न कामनाओं के लिए हवन विधान –
स्तम्भन – बगलामुखी मंत्र में शत्रु का नाम तथा ‘ स्तम्भय -स्तम्भय ‘ पद जोड़कर अपने छोटे -बड़े कार्य के अनुसार जप करने से शत्रु एवं उसकी गति का स्तम्भन होता है।

ध्यान : कोई भी विधि या पूजा को पूर्ण विश्वास रूप और आस्था से करे|

माँ बगलामुखी की जो उपासना विधि मेने आपके साथ साझा की है वो बहुत ही कारगर है अगर आप की इस विधि में किसी भी प्रकार की समस्या अति है या आप किसी परेशानी से झूझ रहे है तो आप हमसे अभी ही जुड़ सकते है हमारा उद्देश्य आप सभी की हर समस्या का निवारण करना जिससे आप अपने जीवा को सुख पूर्वक और ख़ुशी पूर्वक जी सके और अपनी सभी इच्छाओ को पूरी कर सको।

जय माँ बगलामुखी

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